Heart's Lines
Friday, 17 April 2015
भजगोविन्दम
बालमन सुन जो प्रौढ़ का धन
संग बन सत्संग से हो निःसंग
निःसंगत निर्मोहत्व को पाता
निर्मोही ही निश्छल हो सकता
निश्चलता ही तो जीवनमुक्ति
भजगोविन्दम भज गोविन्दम
गोविन्दम भज सुन मूरखमति.....
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment