Friday, 3 April 2015

आह्वान अद्वैत का



आओ ! तरंगो से सजें हम 
लहरें खेलें अठखेलियां 
नैया पे बैठे  डोलें हम............
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आओ ! नदिया से रहें हम
बूंदों में मिल चंचल से
विद्युत बन बहे हम.............
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आओ ! बौछारों में बसें हम
बहतेबहते धारा बन पुनः
सागर से जा मिले हम...........
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आओ ! स्वपहचान बने हम
आह्वान द्वित्व-खडिंत
अद्वैतरथ पे सवार हम ...........

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