Saturday, 25 April 2015

अभिव्यक्ति के घेरे



जीने के लिए  दिल को धड़कन   चाहिए 
धड़कन  को  भावों  का  तूफान   चाहिए 
भावों के तूफ़ान को  गीत  बोल   चाहिए 
गीतों के  बोल  को मेहरबां धुन   चाहिए 
धुन को कलंदर के लब का साथ  चाहिए   
कलंदर  को  दिल  का  मेहमान   चाहिए 
धड़कन को छू ले मेहमां को भाव चाहिए
दिल को भाव-गीत-मेहरबा साथ  चाहिए 



और अंत में 

जिंदगी इसीपल में है और इसी पल में जीना चाहिये 
  बरसो बाद का और बरसों पहले का हवाला न चाहिए  


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