Friday, 5 December 2014

The Last Leap / आखिरी छलांग




Dear Soul , 

प्रिय आत्मा ,


At last, despite of many mental struggle 

you can not able to come out from mind

आखिरकार, मस्तिष्क के अथक प्रयासों के बाद 

मस्तिष्क से बाहर " तुम " आज  भी न आ सके


before mind says world is my ownership 

now it mind says ownership is my world

पहले  कहते नहीं थकते थे संसार मेरे अधीन है 

अब कहते हो, आध्यात्मिक के अधीन संसार है


the time mind involved forcefully said i'm 

now mind says smartly  One  ALL to me

(understand play)



वो समय दिमाग शामिल था कि सिर्फ " मै हूँ "

अब यही कहता है सब कुछ.. " मुझमे ".. ही  है ,

(खेल समझो


listen whisper of Maa, the roar of father

they saying to BE ONE you busy to play

मौन हो सुनो फुसफुसाती माँ और गरजते पिता

कहते अब तो " एक " हो जा, क्यूँ खेल में खोया


come out..come out from all mental web

here is only "One" , neither you or me

बाहर आजा..बाहर आजा सभी बुद्धि जालो से 

यहाँ सिर्फ "एक " है,  तुम और मैं  भी दो नहीं


no emotional ready drama self or others

against of all tatva play, you need to rest

भावनात्मक  खेल  नहीं  अपने  या दुसरो के लिए 

सभी तात्विक खेलों से अलग तुम्हे आराम चाहिए


emotion are expression, still body works

come out..come out,my dear be witness

भावनात्मक प्रदर्शन जारी शरीर का उपयोग जारी 

बाहर आ जाओ , बाहर आ जाओ प्रिय साक्षी बनो


sensitivity  done job, as last weapon tool

now time is one step come-up to see ALL

संवेदना ने आखिरी शस्त्रसाधनरूप काम कर दिया

बस एक कदम ऊपर, देख खेलते समस्त भावों को


after long walk, the only last leap you have

don't feel tired , the very precious moment

इतनी  लम्बी  यात्रा के बाद बस एक कदम छलांग ,
 
थकना मत
इस क्षण ,ये क्षण अत्यधिक मूल्यवान


ॐ 

Om

No comments:

Post a Comment