बनाना है, बना दो
चाहे, मिटा दो इसे
प्रेम स्नेह कर्त्तव्य
लेन-देन...व्यापार
निभादो या बहादो
घृणा द्वेष संघर्ष
रक्तपथ..दग्धपथ
इस पार... आरपार
जो करना है करलो
मूरख....अभिमानी
परम सर्वगुण युक्त
निर्लिप्त वो निर्मुख
किन्तु नहीं विमुख
किसी कर्माचरण से
कर्म की स्वतंत्रता है
कर्मभोगस्वप्न नहीं
फलाधिकारी स्व ही
प्रारब्ध घेरा कठिन
कालचक्र में घूमता
सिधार्थ बन तोड़ना
प्रारब्ध-घूमता चक्र
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