मेरी कलम ! कहीं मुझे दीवाना न बना दे
रवायतों की दुनिया का निशाना न बना दे
मासूम दिल की तमन्ना है तुझसे जा मिलूं
डर ये रवानगी मुझे कहीं खुदा न बना दे !
खुद खुदा बनभी जाऊ रक्स होगा खुदी पे
डर तेरी इबादत कहीं मुझे पत्थर न बना दे !
पत्थर भी बन जाऊँ तो शिकवा नहीं होगा
शर्त ये पत्थर के सीने में गर आग जगा दे !
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