Heart's Lines
Sunday, 28 December 2014
न जाने क्यों !
न जा
ने क्यों !
जरा ओट
से पर्दा उठते ही
नकाबपोश बेन
काब होते है
न जाने क्यों !
चुप हो सही,
जुबाँ खुलते ही
दिल आईने से
साफ़ होते है
न
जाने क्यों !
चमन में गु
लरंग महकते ही
उस जन्नत
के करीब होते है
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