तुम आये द्वार पे
अभिनन्दन, प्रिये !
आओ ! बैठो जरा
कोई अचरज नहीं
तुम्हारे आगमन पे
स्वागत तुम्हारा
तुम न भी आते ,
तो क्या !
हमको आना ही था !
पता नहीं कुछ
न पूछो !
निर्णय तुम्हारा ....!
नर्तन शायद बचा हो ..
शायद प्रदर्शन हो गया ...
थकन अभी आई नहीं ...
अंदर तो आओ
कुटिया में बैठो
विश्राम कर ये
जल पियो .....
दीप बेला हो चली
आओ बैठो जरा
अतिथि के द्वार पे
अतिथि स्वागत तुम्हारा
क्या पूछा !
मांग .... !
कोई इक्षा...!
कोई मांग न कोई इक्षा ,
नहीं... नहीं ......!
दिया तुमने जो ,
जी लिया
अपूर्ण था नहीं
पूर्ण ... भी ... सम्पूर्ण हुआ !
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