जहाँ पत्ती की सरसराहट स्वर हो
उस स्वर को सरगम का पता हो
ले चल मुझे उसपार कहीं ........
सुगंध उड़ नासिका में प्रवेश पाये
ह्रदय ताल बद्ध गीत गुनगुनाये
ले चल मुझे उसपार कहीं ........
कृत्तियों की ख़ामोशी में क्रंदन न हो
धरती की अंगड़ाईयों में, आंसू न हो
ले चल मुझे उसपार कहीं ........
No comments:
Post a Comment