काश , तुम इस शातिर दिमाग को समझ पाते
तो कभी युद्ध नहीं करते , विनाश नहीं करते
करुणा होती है देख तुम्हे एक दूसरे से लड़ते देख
दयनीयता का भाव अपनी की गर्दन काटते हुए
याद आता यदुवंशियों का वो श्राप जो आज भी है
जो शवों पे विजय नर्तन करते स्वयं भी खप गए
प्रेम का अर्थ समझते , जीवन का मूल्य समझते
प्रेम का गीत गाने वाले किसी को छल नहीं सकते
खुनी सीमा पे विजय पताका फहराने को विवश
गोली नहीं चलते , बारूद से खिलवाड़ नही करते
काश तुम सूफी की सुनते और तुम सुनते संत को
दोनों कहते एक बात,होते कदमो के एक निशान
राजनीती धर्म दोनों रख ताक पे टंगा दो सूली पे
तो ही तुम जी पाओगे और भी सुख से जी पाएंगे
दिमाग की शातिरगिरी, खुद ही खुद को मारता है
चौपड़ में सजा के खुद को खुद ही खुद से खेलता ,
In gist :-
Really feel sad to see fights entire world's soldiers ..
and their hard work to protect our self from Neighbour 's Deadly poison spray ....
and really feel sad those Innocent get trapped in political minds .
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