Friday, 5 December 2014

डूबते दोनों है निसंदेह !




बुद्ध नगर और बुद्धि नगर 

बहुत पास  और बहुत दूर भी


बुद्ध का घेरा पूरा करना ही है 
,
सबकी मति और अपनी गति


कुछ सीख के तैर रहे वो शिष्य 

कोई सिखा के तैर रहा  वो गुरु 


कोई डूब के पार हुआ रूमी बन 

सागर सभीका जहाज़ अपने है 


बड़े  जहाज में चढ़े गए हजारो,

छोटी नाव भी तो पार उतारती


डूबते दोनों  है निसंदेह,अंत में 

अब तुम्हें जो चाहिए, चुन लो !

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