29 Dec 2014
चमकते सूरज की रौशनी में कहाँ दिखाई पड़ोगी तुम !
छद्म रौशन चकाचौंध, शर्म से छिप जाओ तुम कहीं !!
छद्म रौशन चकाचौंध, शर्म से छिप जाओ तुम कहीं !!
The sun is rising,you may not more visible
illusive artificial lights go and hide yourself .
illusive artificial lights go and hide yourself .
29 Dec. 2014
floating upon history is not for me ,
future is unknown ...
those want to here n now ,
come and join ....
future is unknown ...
those want to here n now ,
come and join ....
आज मैं खिला हूँ मधुमास है
सुगंध से भरा जीवन आस है
कल की भूल गया, याद नहीं
कल का क्या होगा होश नहीं
सुगंध से भरा जीवन आस है
कल की भूल गया, याद नहीं
कल का क्या होगा होश नहीं
23 Dec. 2014
वक्त की रफ़्तार से चाल मिलाते
ये अहसासों की बात है
जो अकेले में कारवां से और
भीड़ में खुद से जा मिलते है
04 Dec. 2014
बहुत छोटी सी मुलाकात में, वो अहसास दे गया
जिंदगी क्या चीज़ है, बिन कहे कायनात दे गया !
02 Dec. 2014
खँगालो अपनी यादों को कहीं ना शाम हो जाये
पुराने खंडहरों में ही दबा हुआ गुफा का सुराग है !!
02 Dec. 2014
Some one says some time :-
दिखाता हूँ चाँद , उँगली न पकड़ लेना
खेलते खेलते इसे ,खेल न समझ लेना