कैसा राग बना,संगीत सुनाया
नितगीतअन्जाना बनता गया
सजते अस्मानीस्याहपटल पे
झिलमिल से टिमटिमसितारे
कोई चमका,कोई स्याह हुआ
जन्मको फिर कोई व्यग्र हुआ
कोई टूट-बिखरने तैयार हुआ
फिर कोई तारा दुबारा निकला
समय की आड़ी टेढ़ी चालदेख
मन सहम ठिठक संभल, चला
थिरकता रोता खिलखिलाता
युगों युगों का चलता चक्का
बिलखता मदमस्त सिसकता
स्वयं से ही ओझल होता गया
अहं वश सहेजा ज्ञान बुलबुला
बिखरता फूटता छूटता गया
जप-तप-पूजन-ध्यान-ज्ञान में
विस्तृत फैला माया तिस्लिम
जल बूँद-बूँद कर बरसता गया
मन-मयूर नृत्य करता गया
सम्मोहन सपना टूटता गया
अनहदगीत " मैं " सुनता गया
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