Wednesday 11 February 2015

अन्तस्तम में दिया जला


सुना था जीवन दायी हवाएं एक सी बहती है आसमान में
घेरो फेरों का अनंतजाल,जाल में उलझा ऊँचा उड़ता पाखी
गोल गोल घेरों फेरो का संसार, इस पार भी उस पार भी है

उड़ के देख लिया , उनके भी अपने नरम गरम स्तर होते है
उनके भी अपने थपेड़े होते है उनके भी अपने उछाल होते है
जल थल आकाश लहरें सतहों में इस पार भी उस पार भी है

उड़के डूब तैर के सिमटा दुबक बैठाअन्तस्तम में दिया जला
अंधेरा धूलधूसरित था घर का कोना,दिया जला उजाला हुआ
देखा डूब असीम गहराइयों के प्रदेश इसपार भी उसपार भी है

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