Wednesday 11 February 2015

द्वित्व चक्र


yin-yang 
or 
masculine  feminine 
or 
Ardhnarishwara 

मैं वो तुम्हारा न कह सकता हूँ, न तुम मेरा सुन सकते हो 
गीत गा सकता हूँ तुम्हारा , न तुम मेरा गुनगुना सकते हो 

प्रयास अथक तुम्हारे हो सकते है,प्रयास मेरे भी हो सकते है 
कुछ परदे में तुम रह सकते हो,कुछ आड़ हमारी हो सकती है 

इतना सच है ! परिभाषाएं सच की बदलती रूपों में ढलती है 
संभव से होता जाता असंभव, असंभव से होता जाता संभव  

लेन देन के इस  काण्ड चक्र में यिन-यांग से उलझे हमतुम  
अपने तल से देता मैं जो भी,तुम भीअपने तल पे ले लेते हो 

गोल गोल घूमते ; समय के इस चक्र में रहते हम तुम दोनों 
अपनी गतिमति में गोता खाते ,अपनी मतिगति में बसते है

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