ढोल ताशे संग
सफर शुरू किया
उत्साही मद भरा
मस्त मदहोश है
अभी तो जीने दो
अंत की न पूछो
कहाँ कब कैसे हो
किस हाल में हो !
पते का पता न हो
पते को पता न हो
अच्छा है मासूम
अँधेरा रहने दो
आँखे ये झुकी है
पर्दा रहबर का
पड़ा ही रहने दो
जो जैसा है वैसा
ही उसे रहने दो
परदे के भीतर
हंसना गाना है
नाचना है रोना
गीत है संगीत है
ह्रदय मस्तिष्क है
कुछ चित्र रंगीन
तो कुछ रंगो के
लिए कतार में है
कराहना भी है
सिसकना भी है
घाव भाव प्रेम
उपचार व्यापार
बहती तरंगो को
आघात औ फिर
मरहम मिलेगा
बीमारी है तो
इलाज मिलेगा
कुछ न भी मिले
तो उसका करम
यूँ ही गुनगुनाते
पहुंचे मुकाम पे
मौसम लो आया
फिर सजने का
ताशे बाजे का
कट गया सफर
लो बातों बातों में
ॐ की सत्ता को
मेरा सादरप्रणाम
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