Wednesday, 11 February 2015

तू सिमितअसीमित मर्यादितअमर्यादित

haven't seen such a beautiful expressions in pic .. is complete in express about Divinity at the end . even Om is in middle as i had thought .. same lord replies . i am above of all expression possible .
बंद नजरों से दीदार था खुली तो गुम 
करीबियों की चाहत ने तुझे दूर किया

बहुत कुछ कहने की धुन, जुनु ही था
चाहत सुरताल की, शब्द में ढले कैसे  

निकलते ही हवा में घुल गये वे शब्द
जिनको हवा से, बेवजह चुरा लाये थे

हसरत से कदम दर कदम चलते गए
अश्क आरजू भरे छलकते सूखते गए

न कोई  रंग न रूप तेरा  न कोई स्वाद
न स्पर्श  तेरा, क्यूंकि  फिर भी तू रचा 

सुगंध रूप रंग स्वाद स्पर्श  में स्थित 
पद्मनाभ से होता  ओंकार से विचरता 

विलीन होता उठता धुंआ सा शुन्य में 
सिमितअसीमित मर्यादितअमर्यादित 

Om Pranam

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