Monday 16 February 2015

सुन्दर माला का उलझाव



हमसब झुण्ड में ज्यूँ बैठे 
बहु भाषा भाषी  मन्थनी
समग्रता साथ पूर्णता  से 
ऐसा  झुण्ड  अंदर भी था 
जागृत  बिल्कुल वैसा ही 

माणि से संदेह और उत्तर 
रंग रंगी मोती के दाने थे 
धागे  का  एक  छोर मेरा 
दूजा  छोर अनंत  का था 
एक  धागा  संशय   पोरा
दूजा  उत्तर का  है  पोरना    
सुचारुता  से कहाँ  पूरता 
आगे  पीछे होता रहता है 

कभी  संशय  पड़ते जाते 
तो  कभी  उत्तर  ही पुरते 
रंगीली  माला  तेरी  मेरी 
अन्तर-झुंड मोती उछल 
बाह्य-झुण्ड  जा  गिरता  
माला  भासती एकत्व में 
तोकभी झुंडों में उलझती 
उनसी अनगिनत  माला 
माला  में  असंख्य  मोती  

माला  पुरती  दाने बंधते
असीमित सिमित  होता 
माला विस्तार सिमटता  
सुन्दरमाला बनतीजाती

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