हमसब झुण्ड में ज्यूँ बैठे
बहु भाषा भाषी मन्थनी
समग्रता साथ पूर्णता से
ऐसा झुण्ड अंदर भी था
जागृत बिल्कुल वैसा ही
माणि से संदेह और उत्तर
रंग रंगी मोती के दाने थे
धागे का एक छोर मेरा
दूजा छोर अनंत का था
एक धागा संशय पोरा
दूजा उत्तर का है पोरना
सुचारुता से कहाँ पूरता
आगे पीछे होता रहता है
कभी संशय पड़ते जाते
तो कभी उत्तर ही पुरते
रंगीली माला तेरी मेरी
अन्तर-झुंड मोती उछल
बाह्य-झुण्ड जा गिरता
माला भासती एकत्व में
तोकभी झुंडों में उलझती
उनसी अनगिनत माला
माला में असंख्य मोती
माला पुरती दाने बंधते
असीमित सिमित होता
माला विस्तार सिमटता
सुन्दरमाला बनतीजाती
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