ॐ
अग्नि तत्व से नहायी उष्ण सुवर्ण धातु
शीतल सौम्य चाँद समरूप चांदी किरण
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विश्व नहाया उष्मपीत श्वेतशीत ऊर्जा से
प्रतीक बने तेज-पुरुषार्थ शांति-सौम्य का
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ताल्लुक क्या भाव का रुपहली चांदनी से
ओजस्वी सूर्य से बुद्धि का ताल्लुक क्या
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लुभाती चमकती श्वेत-शांत चन्द्र-किरण
प्रेरणा जीवन रूप , पीत उष्म सूर्य किरण
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सूर्य के ओज से अस्तिव में चांदनीचमक
स्वयं वो टुकड़ा अन्यथा अस्तित्वविहीन
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अद्भुत भाव रूप जुड़ा इस धरती तत्व से
ओजसूर्यतारा,चांदताराचांदनी युक्त हुआ
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मेरे सभी कर्म सूर्य प्रेरित है जीवनदायी है
अंतरात्मा-झील चांदनी से नहायी चाँद है
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चाँद सूरज दोनों का स-गुण मुझमे वास है
सूरज तेजस बुधिरूप,स्त्रीरूप ह्रदय चाँद है
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यूँ ही तो नहीं कहते बुद्धियुक्त ज्ञानीजन
समस्त तारासमूह-तत्व का मुझमे वास है
सूरज से ऊर्जान्वित भाव-रूप धड़कता चाँद ये दिल
इसदिल की रौशनी से जो चमकी वो चांदनी हो तुम
प्रियतम और प्रियतमा दोनो अर्धांश एक ही नूर के
एक सूर्य बना चमका दूजा श्वेतशांत चाँद कहलाया
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सब हंसा मानस ने पा लिया अपने मानसरोवर में
विस्तार जगत का वही तो, प्रेममय विश्व कहलाया
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