Wednesday 11 March 2015

घेराफेरा-यात्रा



बाल्य से वृद्ध तक फैले हुए है
यात्रा के अनगिनत सिलसिले
हर घेरे पे घूमते चक्कर काटते
होतेहुए युवा, युवा से प्रौढ़ होते
फिर वृद्ध, वृद्ध व्यतीत होते 

खेलते झगड़ते फिर मेल करते 
सम्बन्ध परिवार पड़ोस समाज 
मानसिकता अंतर्द्वद्व अधीन 
ये घेरा-यात्रा पूर्ण होती स्वयंसे 
बारबार यही दोहराती मिलती 
सच है 'यथा दृष्टि तथा सृष्टि'

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