भावनाओं को सैलाब यूँ तो नहीं कहा जाता
शोर जोर कुछ तो है जो तबाह कर जाती है
किनारों के टूटने से पहले लौहबंध डालदेना
मौसम बिगड़ने से पहले बाँध लेना, बेहतर!
बांधो न गर किनारो को स्वछंद इस नदी के
बूंदों के मौसम में किनारे भी बहा लेजाती है
समंदर मिलने से पहले ये लहरें ही डुबो न दें
संभल के चलाना नाव, के जल में हलचल है
शोर जोर कुछ तो है जो तबाह कर जाती है
किनारों के टूटने से पहले लौहबंध डालदेना
मौसम बिगड़ने से पहले बाँध लेना, बेहतर!
बांधो न गर किनारो को स्वछंद इस नदी के
बूंदों के मौसम में किनारे भी बहा लेजाती है
समंदर मिलने से पहले ये लहरें ही डुबो न दें
संभल के चलाना नाव, के जल में हलचल है
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