चलो पार्थ-बुद्धि संग
बगीचा थोड़ा घूमआये
करें सवारी टग्बक की
खेंच कमान घोड़े की
दूर तक सैर कर आएं
.
लेकिन भूल न जाना
आभारदेना मयूर-मन
हवा का ,फैले रंगो का
सुगंध औ खुशियों का
.
लेकिन भूल न जाना
बीज डालना धरती पे
सरिता सुन्दर रखना
पर्वत मनोरम रखना
.
लेकिन भूल न जाना
खुशियों को..संवरना
कंटक मध्य पुष्पसंग
तितलियों का उड़ना
No comments:
Post a Comment