Wednesday, 11 March 2015

फूल और कांटे



कहना   ना  सुनना  
स्वयं  मगन  रहना 
फातिया  न  पढ़ना
न मंत्र  जाप करना 
मध्य में लौ  स्थिर 
अनवरत है जलना 

लेना इक  न देना दो 
बोझ येअलग रखना
फूल-काँटा  कारोबार 
जुदाजुदा नहीं करना 
लेना है तो बीज लेना 
देना तो बीज ही देना

रोपना  तो  रोप बीज 
संजोना  बीज को  ही
फूल और कांटे अलग 
बोने से न उगा करते 
बबूल में फूल है उगते 
गुलाब में कांटे लगे है 

फूल से सुगंध बनाते 
काँटों से हथियार बने 
कर सदुपयोग "हीर" 
सतत  प्रयास  युक्त 
जीव सूझबूझ-जीना 

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