Monday 9 March 2015

प्रिज़्म

These are look just more than big from life but itself emotions are nothing just prism of mind.So that;we should have to follower of beautiful rainbow colors of heart-path with keep in mind of all nothingness .


सूर्यसम तेजवान प्रखर किन्तु
कर्म अग्नि में पकती सुलगती
माया भ्रमित होती प्रखरबुद्धि
.
तराशा हीरा-मन तप से तप के 
प्रिज़्म बन गया भावनाओं का 
कह गया,' भावनायें उपस्थ्ति
.
सर्वत्र व्याप्त रंगो की समदृश् 
सूर्यकिरण बिन प्रकट भी नहीं '
स्वयं ही भावनाएं कहती जाती
.
"अपना अस्तित्व चंचलनदी है 
भावनाओं में बह..निर्णय लेना 
चाँद के चुस्त कपडे सिलाना है
.
किन्तु हूँ सारथी मैं भावरथ का
हे पार्थ , मैं ही सक्षम बताने में
दृश्य जो है ही नहीं, दिखाने में

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