जीवन-भोग ही नहीं , जीवन-योग भी देते है
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मधुमख्हियों को मेहनत से शहद बनाते देख
चींटियों को कतारबद्ध - समूह में बढ़ते देख
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नाजुक चिड़ियों को ऊँची उड़ान भरते देख
हंसों को जोड़े में सरोवर में टहलते हुए देख
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फलो से लदे वृक्षों को अटल खड़े हुए देख
सुन्दरपुष्प सुगंध भरे फुलवाड़ी की जान देख
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मेंढक की टर्र टर्र , गधे की ढेंचू-ढेंचू दुल्लत्ति
सांप को अपनी जन्मी संतानें निगलते देख
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औ सरसराते हुए कहीं भी छुप जाने की कला
दूसरों को ग्रास बनाने के लिए तत्पर उत्साही
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मकड़ियों को अपने ही जाल में उलझते देख
शेर सम खुल के अपना पौरुष स्थापित करते
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चीते समान घात लगा दुश्मन को मिटा देते
कभी हाथी सा बल प्रदर्शन संसार अखाड़े में
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कभी मगर बन शिकार को पूरा निगल जाते
रेंगते कीट से बदल रंगीं तितली बन मंडराते
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साधु बन कोयल कंठ से गीत गाते हुए चलते
नर्तक बन नृत्य करते.प्रकृति से गति मिलाते
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सम्पूर्ण प्रकृति के तत्व बन गुण-धर्म समाये
देव से उठते तो , दानव से पृथ्वी में जा घुसते
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कभी साधु
कभी योध्हा
कभी दानव
कभी प्रेमी
कभी अचरज
कभी करतब
कभी सरल हो
कभी गरल हो
कभी अमृत से
कभी अलग
कभी साथ
कभी अनेक में खंड खंड कभी एक में पूर्ण प्रकट!
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सच ही है ! समस्त गुणांश पूर्ण मिले आप में ही,
सकल योनि भ्रमण पर्यन्त ही दिव्यजन्म मिला,
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परमात्मा की अद्भुत-कृति देख अन्य भयभीत,
जनाब ! आप क्यूँ उन सबसे बार बार डर जाते है,
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अजीब आपके डर का आलम है डरे सहमे से आप,
सब कभी खुद कभी तो खुदा रच उससे डर जाते है,
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उफ़ ! ये अंदाजा खाली दिमाग की उछाल तो नहीं,
न- न! देखा छुआ जाना माना सात बिन्दुओं से हो,
अपना चिरप्रवाहित समय के साथ बहता गुणधर्म,
7 चक्र से बहता धर्म अधर्म , 7 स्वर में गाता गान,
सात रंग में लिपट बांसुरी,सात रंग के मिश्रण तान,
रंगीं कृत्यों की पुरातन किताब,असलियत आपकी!
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क्या ये तारीफ़ है ! नहीं जनाब, फितरत आपकी!
इन मिश्रण से जो मिठाई बनी तबियत है आपकी!
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