Thursday, 4 June 2015

दो सांसो के बीच


मुझे ठहरना  है बस इन  दो सांसो के बीच
जीवन जीना  है बस इन दो साँसों के बीच
मेरा योग  मेरा भोग मनोयोग भी तू ही है 
उपभोग मेरा  है तू  बस  दो साँसों के बीच
हाँ , मुझे ठहरना है_________________

दैहिक जैविक नाते , कुछ  अलग बात है
थरथराती जीवन  लौ कहती और बात है
पेंचोखम निस्तार लौकिक अलग बात है
मिलन, विदा, संयोग कुछ अलग बात है
हाँ , मुझे ठहरना है__________________

योग या प्रेम,जब मध्य में आ गति थमी 
दो साँसों के बीच  पाया रक्स-अक्स तेरा
इन्ही दो साँसों बीच बसे है प्रियतम मेरा 
ठहर पनाह मैं पाऊँ इन दो साँसों के बीच
हाँ , मुझे ठहरना है __________________

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