Tuesday 5 April 2016

क्यूंकि आज



क्यूंकि आज 
उसका दिल और 
इसका दिमाग
मर रहा है थोड़ा थोड़ा 
सच ही कहा है 
एक देह में 
एक जीवन ! 
जोड़ा एक!
अधिक की जगह नहीं ,
प्रकति का 
मिज़ाज कहता है 
एक बने ही हो 
तो दो अलग कैसे !
एक संस्था 
एक दिमाग
एक दिल 
प्राकृतिक संतुलित है !
दोनों के दो दो  में से 
एक एक की विदा 
किस की देह से 
क्या निकलता है ! 
यहीं तो मर्म ठहरा 
संतुलित और सुंदर !

No comments:

Post a Comment