क्यूंकि आज
उसका दिल और
इसका दिमाग
मर रहा है थोड़ा थोड़ा
सच ही कहा है
एक देह में
एक जीवन !
जोड़ा एक!
अधिक की जगह नहीं ,
प्रकति का
मिज़ाज कहता है
एक बने ही हो
तो दो अलग कैसे !
एक संस्था
एक दिमाग
एक दिल
प्राकृतिक संतुलित है !
दोनों के दो दो में से
एक एक की विदा
किस की देह से
क्या निकलता है !
यहीं तो मर्म ठहरा
संतुलित और सुंदर !
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