लय संगीत नृत्य संयुक्त
छम्छम् मोहिनी चलती है
सूखे में जीवन जी लेती है
श्वेतबर्फ में ऊष्मा देती है
योगी अंतस्थ ध्यान में है
इंद्रियां अंतरधार से मिली
बाह्यनेत्रगर्वितंतस्स्थित
बन बैठे अनुभव की खान
पर अंतर्मन बसी मोहिनी
आधे अंग का आधा भाग
लहू में तरंग हो बन मिली
नटिनीनृत्ययुक्तभामिनि
मौन बोल उठता भाव में
कभी चित्र नृत्य करते है
पत्थरो से फूटे यूँ सरगम
बूंदों से यूँ गीत टपकते है
मोहिनी तू ही है तरंगिनी
तुझसे कौन अलग कब है
रूप बदले योगीभोगी संग
शिव की शक्तिअर्धांगिनी
कीचड़ में खिले कमल सी
कंटक में महके गुलाब सी
मेघों में चमकी तड़ित सी
हृद्यलास्य बनी कामिनी
योगी का तू यौगिक भ्रम
धनीमन में संविधानधन
भग्व्ति युक्त भगवन वो
शौर्यमें ओज वही नटिनी
संगीत हो बसे लयतान में
प्रेमीमुख के छन्द में वोही
किसकोकरते अलगथलग
बुन-उधेड क्या सम्भालोगे
कण-कण, मन-मन में रहे
तानबान क्रम जो खुद बुने
रंगत हो चित्र में खुद उभरे
हरी ॐ तत्सत ॐ हरी ॐ
रे वस्त्र !अथक प्रयासरत !
रे वस्त्र !अथक प्रयासरत !
था करना,क्या कर रहे हो !
कहते हो कुछ नहीं चाहिए
महल कौन सा बना रहे हो
कहते हो कुछ नहीं चाहिए
महल कौन सा बना रहे हो
ॐ हरी ॐ
Pranam
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