भाव की लहरें,भाव की नाव
भाव ही भूख, भाव ही गठरी
नैनो के भाव,रंग में जा बसे
नासिकाभाव,सुगंध में छिपे
हाथ के भाव,स्पर्श सुख कहे
कर्णभाव संगीत में छिप रहे
ह्रदयभाव प्रेम मेंछिप बैठ्या
शीर्ष भाव मद से जा मिल्या
भाव के रंग , भाव की पथरी
भाव भाव संग,भाव न जानी
खुद ही सिखवन सिखावंहार
तरते जाते खुद ही तारणहार
कहे भाव भर गठरी तो खोल
जा में छिपी , कौड़ी अनमोल
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