जिस किताब काआदि न अंत
लिख मिटती बिखर सिमटती
ऐसी अद्भुत तू जीवन पुस्तक
बीड़ा उठाया ख़त्म करने का
जिसकी शुरुआत ही नहीं हुई
वो ख़त्म भी कैसे होगी, सोचो !
फिर भी लोगों ने सुना सुनाया
आसान पे बिठा शाही भोज दे
पीर पैगम्बर संत उपमा दे दी
उन्हें जो चल पड़े उस राह में
जहाँ कोई निशान ही नहीं थे
लिख मिटती बिखर सिमटती
ऐसी अद्भुत तू जीवन पुस्तक
बीड़ा उठाया ख़त्म करने का
जिसकी शुरुआत ही नहीं हुई
वो ख़त्म भी कैसे होगी, सोचो !
फिर भी लोगों ने सुना सुनाया
आसान पे बिठा शाही भोज दे
पीर पैगम्बर संत उपमा दे दी
उन्हें जो चल पड़े उस राह में
जहाँ कोई निशान ही नहीं थे
No comments:
Post a Comment