Wednesday, 24 August 2016

रे मन बता

रे मन बता
कैसे बहलाऊँ तुझे
कौन धुन पे तू झूमता
कौन गीत गा रिझाऊँ
रे मन बता
कौन रंग दिखलाऊँ
कौन सा चित्र बनाऊं
कौन से सच्चे रंग भरूँ
रे मन बता
कौन सी कथा सुनाऊँ
सच को कहती परियां
या सच में रहती दुनियां
रे मन बता
कौन व्यथा साँझा करूँ
के दिल धड़कना न भूले
सपने छलकना भूले नहीं
रे मन बता
खुमारी कौन सी सुहाएगी
नशा चढ़ के जो उतरे नहीं
या उतरे इक बार चढ़े नहीं
रे मन बता
गेरु रंग ओढ़े धानी-मन
श्वेत देह बसे गुलाबी मर्म
नीला प्रकाश रहे अन्तस् में
रे मन बता
खगोली हंसी युक्त व्योम
हंसी पे अट्टहास करते तुम
झेन गूंज जेहन से गई नहीं

Lata Tewari
2 August at 17:29

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