Thursday, 25 January 2018

काला !



अँधेरे ! चलो आज तुम्हे बता ही दें 
राज गहरा दिल में छुपाये कब तक रहे 
तुमसे मिलने को न मालूम कितने जतन किये 
जब की मालूम भी नहीं था के तुम साथ ही हो हर दम

कोहरे में लिपटा झीना सा रेशमी पर्दा
सरसराता अज्ञान ढक लेता कम्पित देह को 
गहरे घने अँधेरे श्याम ! तुमसा घना देखा नहीं 
गहराती अँधेरी गुफाएं थीं चलते रहे कदम कदम हम

मैं चाहता था मैं मिलूं एक बार तुमको 
घूँट घूँट पियूं तुम्हे एक बार खुली आंखो से 
इसके पहले अजनबी अँधेरा बन मुझे बांहों में भरे
जाना पहचाना लगे उस रात इतनी पहचान तो कर लूँ

काला ! कितना भटक पूछा ठिकाना 
इसने कहा वैसे देखो उसने कहा वैसे देखो 
बैठते ही सघनता घेरती घबड़ा के आँख खुल जाती 
बरस बीते यूँ तुम्हे देखने की कोशिश पर तुम नहीं मिले

फिर थक चाहत त्याग दी , श्याम ! 
आवाज आयी- श्यामा आँखे खोलो देखो मुझे
उजली बूँद उसी पल स्याह तुझमे में गिर मिल गयी 
न जाने इक अँधेरे ने इक अँधेरे को अँधेरे में कैसे देखा ?


22 januery 2018, 20 : 46
Lata 


Translation :

Black:-
The darkness! Let's tell you today

How long did Raj hide deep in the heart
Do not know how many saved to meet you
When you did not even know that you are with you

Covered In fog that thin curtain 
rustle ignorance covers a shivering body
Dence dark darkness! not seen such a dense
The darkest caves were dark, we were walking together 

I wanted to meet you once
Sweat sips you once with your open eyes
Before the stranger became blind, I was filled with arms
I know that night that I should recognize you so much

Black! How much wandered i was
this say Look this way they said look that way
Sitting tightly while sitting, the eye of the panic opens
You have not met for years but try to see you

Then gave up the tired, Shyam!
The voice came - Blue open eyes, look me 
The bright drops in the same moment Blue got caught in you
How did the darkness of the darkness be seen in the darkness?

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