कभी खामोश
कभी उदास
कभी हल्के हुए
तो कभी भारी
कभी भीगे हुए
कभी सूखे
कभी भीड़ में
अकेला करते
कभी अकेले में
जश्न मानते
पल पल दौड़ते
भागते
चुम्बक से
लम्हे.... !
चिपके हुए
एक के पीछे एक
एक दूसरे को धक्का देते
तो पास भी खींचते जाते
कोई ज्यादा दूर हो जाये
तो श्रृंखला ही टूट जाएगी
ऐसी छुक छुक धुआं देती
उड़ाती डिजिटल-
अदृश्य ट्रेन और
ट्रेन में जुड़े
ट्रेन के डब्बे
जैसे तुम
"लम्हे....!"
कहाँ दीखते हो ?
बस कल्पनाओ में
कविताओं के जरिये
खंगाल लेते है तुम्हे
बेशकीमती तसल्ली
के देख लिया तुम्हे
जान लिया तुम्हे
मान लिया तुम्हे
इतनी दुआ-सलाम
भी गर है तुमसे
काफी है पहचान
तुम्हे जीने के लिए
कभी उदास
कभी हल्के हुए
तो कभी भारी
कभी भीगे हुए
कभी सूखे
कभी भीड़ में
अकेला करते
कभी अकेले में
जश्न मानते
पल पल दौड़ते
भागते
चुम्बक से
लम्हे.... !
चिपके हुए
एक के पीछे एक
एक दूसरे को धक्का देते
तो पास भी खींचते जाते
कोई ज्यादा दूर हो जाये
तो श्रृंखला ही टूट जाएगी
ऐसी छुक छुक धुआं देती
उड़ाती डिजिटल-
अदृश्य ट्रेन और
ट्रेन में जुड़े
ट्रेन के डब्बे
जैसे तुम
"लम्हे....!"
कहाँ दीखते हो ?
बस कल्पनाओ में
कविताओं के जरिये
खंगाल लेते है तुम्हे
बेशकीमती तसल्ली
के देख लिया तुम्हे
जान लिया तुम्हे
मान लिया तुम्हे
इतनी दुआ-सलाम
भी गर है तुमसे
काफी है पहचान
तुम्हे जीने के लिए
© Heart's Lines/ © Destiny Poetries
Posted by lata
09-01-2018,
09:15 am
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