Monday, 8 January 2018

अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ / I read my own poem


कभी कुछ भी जब समझ नहीं आता 
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ 

जब कभी कुछ बिता हुआ छेड़ता है 
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ 

जब भी कुछ उम्मीदें पंख फैलाती है 
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ 

गर कुछ होने का अहसास जागता है 
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ 

गहरी धुंध! गहराती हुई धुंध! बीच मैं
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ 

ये कविता मेरा ही जवाब है, इसलिए 
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ

तुम्हारी रचना पढ़ के क्या करुँगी मै
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ



When never understand anything, Then
I read my own poem

Whenever Some Spends Time gives knock
I read my own poem

Whenever some expectations spread wings
I read my own poem

Feels awake of and be something with fake 
I read my own poem

Deep mist past! Wave mist of ahead! Between me
I read my own poem

My written poem is my only answer; So
I read my own poem

What will I do to read your's composition
I read my own poem
© Lata
09-01-2018
08:34am

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