कभी कुछ भी जब समझ नहीं आता
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ
जब कभी कुछ बिता हुआ छेड़ता है
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ
जब भी कुछ उम्मीदें पंख फैलाती है
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ
गर कुछ होने का अहसास जागता है
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ
गहरी धुंध! गहराती हुई धुंध! बीच मैं
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ
ये कविता मेरा ही जवाब है, इसलिए
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ
तुम्हारी रचना पढ़ के क्या करुँगी मै
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ
तुम्हारी रचना पढ़ के क्या करुँगी मै
अपनी ही लिखी कविता पढ़ लेती हूँ
When never understand anything, Then
I read my own poem
Whenever Some Spends Time gives knock
I read my own poem
Whenever some expectations spread wings
I read my own poem
Feels awake of and be something with fake
I read my own poem
Deep mist past! Wave mist of ahead! Between me
I read my own poem
My written poem is my only answer; So
I read my own poem
What will I do to read your's composition
I read my own poem
I read my own poem
© Lata
09-01-2018
08:34am
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