Thursday, 25 January 2018

आज भी



अपने क़ानून उसूल तरीके पे कायम काबिज- आज भी सदियों से प्रकृति वही नियम ढोती है

आज भी सूरज से दिन, रात चाँद चमकता है
लट्टू सी घूमती धरती मौसमों को बदलती है
आज भी हम मूर्ख स्वाभिमानी प्रेमी लड़ाके हैं आज भी बिजली की तरह, वो हम पे गिरते हैं बदलने वालों ने भी बस चोले ही बदले हों ज्यूँ आज भी, हवाओं ने कहाँ अपने रुख बदलें हैं आज भी सीमाओं के प्रहरी जिन्हें रोक लेते हैं आज भी उनकी घातें हमे घायल कर जातीं हैं आज भी धुल के गुबार उठते हैं उस दिशा से चलती हुई अँधिया उस दिशा का पता देतीं हैं
वो ही अंधीरफ़्तार, हवस, खुनी जंग,ख्वाहिशें हाथी हुए मिसइल और कबूतर बने मोबाइल आज भी हम आपस में ही धूल-धूसान होते हैं आज भी हमारे ही तीर हमको चोट दे जाते हैं घात आघात प्रतिघात रगों में लहू बन दौड़ते क्या कुछ बदला भी है ऐ इंसान तुम्हारे अंदर
Few lines on your post on today's Rajput 's united as Krini Sena Politically and #RaniPadmavati (catch the history) and her #Jauhar ( detail of jauhar) in history
कोई भी अपने आपको को आग के हवाले करे , आसान नहीं , जरूर गहरी मज़बूरी होती है जब कोई रास्ता न दिखे वो तब भी सच था और आज भी सच है। फिर ये तो सिर्फ जौहर नहीं जौहर का प्रतिनिधित्व भी था। एक #रानी पद्मावती (Bharat ek khoj Doordarshan episode 26) उनके पीछे जौहर करने वाली हजार चित्तौड़ की राजपूत स्त्रियां। अद्भुत वीरता है।
ये भी उस वख्त का सच था की उस लड़ाई में एक भी पुरुष जीवित नहीं बचा था , सभी वीरगति को प्राप्त हुए थे , सिवाय बच्चे और स्त्रियों के , जब स्त्रियों ने जौहर का निर्णय किया...... रोयें खड़े हो जाते है उस निराशा और हानि की कल्पना भी करना नामुमकिन है , जिनके बच्चे राजपूत वंश से आज भी है जो इतिहास उनके खून को आज भी खौलाते है। 2018 - स्वाभिमान और मान सहित मूर्खता में जियादा फर्क नहीं .... पर ये क्या गहरा मजाक है की दिमागी तौर पे हम आज भी वैसे ही है जैसे महाभारत काल रामायण काल मुग़ल काल और ब्रिटिश काल में थे। इसी को मैं क्षेत्रीय गुणवत्ता के नाम से जानती हूँ ...... उर्जाये कैसे अपने क्षेत्रीय गुणधर्म से बंध जाती है। लाख बुद्धि से सोचे.....भाव से भर जाएँ , पर मोटे तौर पे छाया हमारे सोच आचरण और निर्णय पे बोले तो क्षेत्रीय प्रभाव की पृवृत्ति हावी ही रहती है। Remembering words of #Geeta - आत्मा सिर्फ चोला बदलती है, नष्ट नहीं होती। कृष्ण और महाभारत भी ऐसा ही विषय है , उन्होंने महाभारत करवाया नहीं , परिस्थतियाँ ऐसी बन गयी की बचना कठिन हो गया तो जो बेहतर था उसका चयन हुआ , यही पद्मावती के लिए सत्य था , पर आज का वो सत्य नहीं आज राजनीतिकरण ज्यादा होगया , आज जो युद्ध है वो गृहयुद्ध है , जबकि उस दिशा से अभी भी अँधियों के गुबार वैसे ही उठ रहे है , शायद हमारे वो ही बहादुर ....... सीमा के प्रहरी को तनख्वाह रूप में जिम्मेदारी सौंप के........ निष्चिंत हो गृहयुद्ध में व्यस्त हैं ।

Pranam
thursday , 09:53 am
25-01-2018

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