ॐ
नदी बहे अपनी सीमाओं में, अच्छा है ! सूरज दहके अपनी मर्यादा में तो अच्छा है !
चंद्र-चन्द्रिका अपनी सीमा में शीतलता दे, धरती घूमे धुरी पे मर्यादित तो अच्छा है !
मौसम बदले, पर स्वस्ति-भाव अच्छा है, प्रकर्ति में अनुशासन का स्वभाव अच्छा है !
ज्ञानसंतुलन निद्रासंतुलन योगसंतुलन क्षुधासंतुलन राग से विराग का भाव अच्छा है !
कुछ भी कर कीजे, साधिये मद्धम मार्ग, क्युं के जीवन में संतुलन का भाव अच्छा है !
चंद्र-चन्द्रिका अपनी सीमा में शीतलता दे, धरती घूमे धुरी पे मर्यादित तो अच्छा है !
मौसम बदले, पर स्वस्ति-भाव अच्छा है, प्रकर्ति में अनुशासन का स्वभाव अच्छा है !
ज्ञानसंतुलन निद्रासंतुलन योगसंतुलन क्षुधासंतुलन राग से विराग का भाव अच्छा है !
कुछ भी कर कीजे, साधिये मद्धम मार्ग, क्युं के जीवन में संतुलन का भाव अच्छा है !
ⓒLata
Thursday 12,0ct,2017, 20:22
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