Tuesday 24 October 2017

जन्मो का हिसाब किताब 'इसमें' होते देखा है

तेरा काँटा, तेरी तौल, हिसाब किताब भी तेरा 
रहमत तेरी मुश्किलें तेरी, जैसे चाहे नवाजे तू 



नियामतों से इंसानी गरूर का वजन बढ़ता है 
ऐवज में तेरे लेने से मगरूर का सर झुकता है 

संतुलन दो पलड़े बीच, ऐसा भी होता देखा है 
जन्मो का हिसाब किताब 'इसमें' होते देखा है


कौड़ी फेंकी पाँसा इतउत पड़े,यदि योग न हो 
तबभी प्रिय से रंज या खारिश की बात नहीं है


मुक़द्दसचाक पे चढ़ घूमता घेरा बड़ा लगता है
है कर्ज बड़ा, तो चुकने में वख्त बड़ा लगता है

अभी ले रहा वो आपसे, ये उसकी मर्जी करम
न हारिये ! स्नेह की पूंजी जमा-खाते में डालिये 


कर्म का लेन देन काल में ऐसे भी होते देखा है
देगा तो! समझ संग ये झोली कम पड़ जाएगी


संतुलन ! दो पलड़े बीच ऐसा भी होता देखा है 
जन्मो का हिसाब किताब इसी में होते देखा है

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