Saturday, 9 September 2017

पूर्ण सच के पूर्ण दो सच टुकड़े

सच और झूठ की इस लड़ाई में 
हास्यास्पद ये तथ्य उजागर हुआ 
झूठ और झूठ, कभी नहीं लड़ते 
झूठ को 'सच' से लड़ना ही नहीं 
बेचारा डराभुता बिल में रहता है 
छुपके चुप रह के काम करता है 

ये तो 'दो सच' ही है, खूबसूरत से- 
जिनके बीच झुठ की जंग जारी है 
भू में कंपन, पर्वत आग उगलते है 
बीच चूहे सा झूठ यदि आता भी है 
सच के शेर फूंक मार उड़ा देते है 
फिर आपस में द्वंद्व करने लगते है 

जब लड़ते
 दोनो दो सच के पक्ष ही 

इनमें हारा, झूठ का हक़दार होता
जीता हुआ सच का हार पहनता है
अक्सर इन दो 'सच' की ज्वाला में 
इतनी भीषण लपटें सुलग उठती है 
विध्वंस तबाही से इंसानियत रोती है

No comments:

Post a Comment