पर आँखें नीरव खोयी हैं
दिल है अपने ही जाए के
जिस्म ओ रूह पे उभरे
गहरे जख्म देख के बस
आगोश में भर के, जब
इत्ता बोली - 'राजा बेटा
सब अच्छा हो जाएगा..,
और कहे तेरी माँ है न!
थपकी दे सहलाती हुई
स्नेहपूरित कहती जाये-
'प्यारा सुन्दर लाल मेरा
पूरे जग से न्यारा है तू.!'
उस पल का राजा वो
हो नन्हा,जी उठता है
फिर संघर्ष को खड़ा
हो जाता मां का लाल
ज्यादा कब कहती है
ज्यूँ वो सब जानती है
जीवन संघर्षकथा को
खूब वो पहचानती है
मेरी माँ! अब मौन है
पर ममता छलकाती
उसकी प्रेमभरी बातें
आह! नर्म स्नेह स्पर्श
मीलों दूर राह तै कर
पीव संग प्यास साथ
तड़प इत्ती, के बोले-
'इस दिल का टुकड़ा
पूरे जग से न्यारा है तू!'
१८/०९ /२०१७
८:१० - प्रातः
प्रणाम
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