ॐ
तुम्हारे अंदर रह तुममे तुमको खोजता रहा
कैसे मिलूंगा तुमसे तुम्हारे अंदर विचरता हूँ
पैरों की धूल हूँ , अभी चलना शुरू किया है
ठानी है! माथे के दमकते हीरे तक आऊंगा
+++++++++++++++++++++++++++
ॐ
अस्तित्व सम्पूर्ण तुम मैं तुम्हारा क्षुद्र धूलकण
तुमसे उठ खेल अंत तुम्मे विलय हो जाऊंगा
आता हूँ मस्तकमणि तक हस्तिसम पा लूंगा
तुझको समर्पित तुझको अपना बना ही लूंगा
तुम्हारे अंदर रह तुममे तुमको खोजता रहा
कैसे मिलूंगा तुमसे तुम्हारे अंदर विचरता हूँ
पैरों की धूल हूँ , अभी चलना शुरू किया है
ठानी है! माथे के दमकते हीरे तक आऊंगा
+++++++++++++++++++++++++++
ॐ
अस्तित्व सम्पूर्ण तुम मैं तुम्हारा क्षुद्र धूलकण
तुमसे उठ खेल अंत तुम्मे विलय हो जाऊंगा
आता हूँ मस्तकमणि तक हस्तिसम पा लूंगा
तुझको समर्पित तुझको अपना बना ही लूंगा
+++++++++++++++++++++++++++
ॐ
गजमुक्ता से रस जो टपके, मदांध कहाऊंगा
ॐ
गजमुक्ता से रस जो टपके, मदांध कहाऊंगा
अपनी सुगंध से मस्त पागल प्रेमी हो जाऊंगा
न सोचूं इस्की उस्की, फिर न महंत न सम्राट
फिर लौट के न आऊं एकबार जो पा पाउँगा
न सोचूं इस्की उस्की, फिर न महंत न सम्राट
फिर लौट के न आऊं एकबार जो पा पाउँगा
© लता
२६-०९-२०१७
संध्या १५ (०3) : ५९ (59pm)
No comments:
Post a Comment