मेरा हमअक्स कुछ ऐसा हो,दीप मेरा-
बहते प्रेम का दरिया हो !
हमअक्स -प्रतिबिम्ब
भाषा बोलूं सरल उसके अर्थ गंभीर हो
भावों के सुलझे ख़म हों !
भावों के सुलझे ख़म हों !
ख़म-घुमाव
प्रज्ज्वलित दीपमाला मौन में जब उतरे
तो बहती हवायें गुम हो !
तो बहती हवायें गुम हो !
गुम-खोयी /शांत
पिय संग बावरी हो तो रंगो की रुनझुन
घन का मौसम सघन हो !
घन का मौसम सघन हो !
नाव उतारुं जब उफनती तेज धारा में
लगन दिल में हांथो दम हो!
लगन दिल में हांथो दम हो!
© लता
२२ -०९-२०१७
१७:५५ ( ०५:५५ ) संध्या
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