Monday, 4 September 2017

छल्का नूर का क़तरा

the absolutely feeling comes over long back, from many poets and sensitive souls now express in my words, enjoy the feel of " gangs of wisdom " and her infinite flow
नूर का क़तरा 

वो इक नूर का क़तरा था 
छल्का था .. आसमान से 

किसी ने मोती बना दिया 
किसी ने खारा बना दिया 

मौसमी नजाकत देख के 
किसी ने बीज बो दिए तो 

किसी ने रूहानी कहानी
  समझा तो किसी ने पानी  


Ⓒ लता, १२: १० दोपहर, ०४ -०९-२०१७ 

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