Wednesday, 7 February 2018

उथलपुथल की शिरकत



बहुत कुछ उथल पुथल दिमाग में हुई 
बहुतकुछ उँगलियों ने शिरकत की है

ओह ! कुछ तो लिख गया कोशिश में
पर वो फिर भी कहाँ है, जो मन में था
कुछ पल को आँख बंद कर गहरे गए

आँखे खोलकर, खिड़की से झाँका तो
वही सूरज की धुप, हवा-फूल-पौधे थे
ऑफिस जाने वाले वाहनों की घुर्र घुर्र
हॉर्न की आवाज, माली निराई में लगा
कुछ झोला उठाये सजधज के निकले

कुछ अपने होने पे चिंतित भागे जा रहे
कुछ अपने में हो के,संतुष्ट चले जा रहे
किसको क्या कहते! मुझे ही नहीं पता
फिर भी क्यों दिमाग में उथल-पुथल है
ऊँगली में हरकत लिखा पर कुछ नहीं

सोचा चलो छोडो ! कहना सुनना किसे

ले के चाय हाथ में दिल की मेज सजाये
फिर बैठे करेंगे चर्चा मिलके दो दीवाने
जीने मरने की संग में कसम ली इन्होने
आपस में ये प्रेमी, सैकड़ों बातें करते हैं


© Lata 
08/02/2018

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