Wednesday 24 February 2016

द्वीप से हम


सागर से जूझते जो नित लहरों से खेलते 
विशाल द्वीप भूखंड जीवित तुफानो में रहते है

उद्घोषणा स्थति-परिस्थति की करता 
ज्ञानवान इंसान भी गहनसंपन्न द्वीप होता है

सिर्फ इंसान ही नहीं द्वीप बन जाता 
नित पैदा होते मिटते ऊर्जावान एक एक शब्द

द्वीप बन उत्पन्न हो विलीन हो जाते है 
शब्द ही नहीं अक्षर भी द्वीप भूखंड सा होता है

गहरे मन्त्र अक्षर जिनके बीच बैठा मौन
गहनतम सन्नाटा हो , एक द्वीप बन जाता है

मंत्राक्षरों से गहन तरंगलहर स्वामी मंथन  
अन्तस्तम में प्रज्वलित लौ हो सिमट जाता है

अन्तस्तम में हजारो रेशे बन मंथन वासित 
केंद्र में स्थित उनका अपना द्वीप बन जाता है  

24 02 2016 

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