सुनाने आज बैठे जो जिंदगी का शगूफा उनको कि
सच मौत से शुरू और यही पे खत्म है।
कहा उसने,' देना है जिंदगी मय की खुराक पिला-
मौत के कदमो की अभी आहट न सुना'।
नादाँ से क्या कहिये ये जो जिंदगी की किताब है
लिखा पहला आखिरी लब्ज यही तो है।
रंग भरो शौक से ! पूरी की पूरी किताब तुम्हारी है
सफ़ेद कागज की सफेदी को याद रखना।
याद रखना इसके हर पन्ने पे हजारों रंग बिखरे है
शुरू और अंत में मिलती कोरी-कुँआरी है।
24 02 2016
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