Tuesday, 23 February 2016

जिंदगी क्या बात है !




अनुभव है हँसने नहीं देते
इक सच्चाई जो रोने नहीं देती है


शतरंजी चाल है इसकी 
पीछे इक , दो आगे को चलती है


दोहरी पटरी बिछी है 
ईंधन भरा इंजन बेतरतीब चले है


ढलन में फिसले जाती
चढ़न पे ; धक्के से चढ़ती नहीं है


आधे सुर है अधूरे बोल
ताल बेताल नृत्यलीन नृत्यांगना 


मोहिनी सी इठलाती हुई
मदमत्तगर्वित हथनि सी चलती है

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