अनुभव है हँसने नहीं देते
इक सच्चाई जो रोने नहीं देती है
शतरंजी चाल है इसकी
पीछे इक , दो आगे को चलती है
दोहरी पटरी बिछी है
ईंधन भरा इंजन बेतरतीब चले है
ढलन में फिसले जाती
चढ़न पे ; धक्के से चढ़ती नहीं है
आधे सुर है अधूरे बोल
ताल बेताल नृत्यलीन नृत्यांगना
मोहिनी सी इठलाती हुई
मदमत्तगर्वित हथनि सी चलती है
No comments:
Post a Comment