सब वो कथानक संकेत चिन्ह ही तो है
जिन जिन को आप असलियत में सच मान बैठे हैं
पात्र भी आपके संगीत भी आपका ही है
चलचित्र के चलते किरदार खुद को सच मान बैठे हैं
और मायावी सच के आतंक तो देखिये
पटकथा लिखते लेखक पे 'चरित्र' कुंडली मार बैठे हैं
किसने कही किसने सुनी दादा दादी की
सतरंगी इन्सां इन मायावी तरंगो में घर मान बैठे हैं
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