Sunday, 15 November 2015

सिर्फ़ उस माली को सब पता है





सिर्फ़  उस  माली को पता है
अनमोल मिट्टी गुण मूल्य सहित
तेजस सूर्य के धुप छाँव के प्रिय खेल
आंकलन कृषिदृष्टि बीज का भविष्य
जल का संचय आगमन  बहाव युक्त
निर्गमन के रास्ते बनाते सुदृढ़ कटाव

सिर्फ उस माली को पता है
खादपानी समय पे समयबद्ध जरूरतें
स्वस्थ गुनगुनाते नृत्य संलग्न ये पौधे
घेराव   के   निमित्त  बाड़े  की   जरूरतें
लम्बाई   चौड़ाई  गहराई   की  सीमायें
बीज रोपने को  कुदाल से गहरी  खुदाई

सिर्फ़  उस  माली को पता है
बीज को सब का पूर्व आभास  कहाँ है !
गर्भदेश में अंकुर फूटते जीव जन्म का
उसे आभास कहाँ कुसुमित पल्लव का
पल्लव भी अनजान अपनी  ऊंचाई से
वृक्ष बेखबर अपने अंदर की न्यामतों से 

सिर्फ़  उस  माली को पता है
बीज से वृक्ष में परिवर्तित कांटे फूल फल 
काँटों को आभास नहीं चुभन से पीड़ा का
फूलों को पता नहीं , उठती हुई सुगंध का
फलों को आभास  नहीं बीज-शक्तियों का
अपार जलनिधि अंजान  गर्भ निधियों से

सिर्फ़  उस  माली को पता है 

हाँ !  पूर्वनियोजित  बीज का वृक्षव्यवहार 
मौन हो  द्रुतगामी  मंथित-कुंठित मनराज 
बैठ पलभर अपनी बगिया मनमाली के पास 
निराई की तरकीबें और क्यारी की बाड कथा
बहुमूल्य  धैर्य की गाथा, सुनो उसकी जुबानी 

क्यूंकि ; उस  माली को सब पता है !
वो माली  बस बित्ता की दुरी पे स्मित हो बैठा
मौन धैर्ययुक्त  चिरप्रतीक्षित उस राह पे खड़ा
बस एक कदम ऊपर को  उसका ठिकाना बना
पहचान  सको  तो  पहचान बना लो पुकार लो
यही जीवन का तंत्र मन्त्र अध्यात्म, और क्या !

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