सिर्फ़ उस माली को पता है
अनमोल मिट्टी गुण मूल्य सहित
तेजस सूर्य के धुप छाँव के प्रिय खेल
आंकलन कृषिदृष्टि बीज का भविष्य
जल का संचय आगमन बहाव युक्त
निर्गमन के रास्ते बनाते सुदृढ़ कटाव
सिर्फ उस माली को पता है
खादपानी समय पे समयबद्ध जरूरतें
स्वस्थ गुनगुनाते नृत्य संलग्न ये पौधे
घेराव के निमित्त बाड़े की जरूरतें
लम्बाई चौड़ाई गहराई की सीमायें
बीज रोपने को कुदाल से गहरी खुदाई
सिर्फ़ उस माली को पता है
बीज को सब का पूर्व आभास कहाँ है !
गर्भदेश में अंकुर फूटते जीव जन्म का
उसे आभास कहाँ कुसुमित पल्लव का
पल्लव भी अनजान अपनी ऊंचाई से
वृक्ष बेखबर अपने अंदर की न्यामतों से
सिर्फ़ उस माली को पता है
बीज से वृक्ष में परिवर्तित कांटे फूल फल
काँटों को आभास नहीं चुभन से पीड़ा का
फूलों को पता नहीं , उठती हुई सुगंध का
फलों को आभास नहीं बीज-शक्तियों का
अपार जलनिधि अंजान गर्भ निधियों से
सिर्फ़ उस माली को पता है
हाँ ! पूर्वनियोजित बीज का वृक्षव्यवहार
मौन हो द्रुतगामी मंथित-कुंठित मनराज
बैठ पलभर अपनी बगिया मनमाली के पास
निराई की तरकीबें और क्यारी की बाड कथा
बहुमूल्य धैर्य की गाथा, सुनो उसकी जुबानी
क्यूंकि ; उस माली को सब पता है !
वो माली बस बित्ता की दुरी पे स्मित हो बैठा
मौन धैर्ययुक्त चिरप्रतीक्षित उस राह पे खड़ा
बस एक कदम ऊपर को उसका ठिकाना बना
पहचान सको तो पहचान बना लो पुकार लो
यही जीवन का तंत्र मन्त्र अध्यात्म, और क्या !
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