Saturday, 21 November 2015

फिर



आज " फिर " गप शप मूड  बना है
एक एक सिप चाय की चुस्की संग
आओ , मानव !  तुमसे फिर तुम्हारी ही बात करें !

आज " फिर " गप शप मूड  बना है -------------------------

पुराने  दौर के  वो पुराने मानव थे
नए ज़माने के तुम नए मानव हो
विकास की ये कथा आओ युग को समर्पित करें !

आज " फिर " गप शप मूड  बना है -------------------------

तेज था और है वीरता थी और है
ओज का संजोग वैसा ही प्रखर है
अर्पण समर्पण कथार्पण आओ आज फिर हम करें !

आज " फिर " गप शप मूड  बना है -------------------------

प्रतिस्पर्धा थी प्रतिस्पर्धा आज भी है
गुणदोष भी वैसे , हे ! विकसित पुरुष
फिर  बदला क्या है ! बैठ जरा चिंतन हम फिर करें !

आज " फिर " गप शप मूड  बना है -------------------------

कृष्णा  राधा का पवित्र सौम्य  प्रेम
मीरा का भक्ति डूबा समर्पित भाव
अग्निजन्मा द्रौपदी से महाभारत संग्राम , विचार करें !

आज " फिर " गप शप मूड  बना है -------------------------

शिव का मोहक गीत या रौद्र संगीत
सुकुमारी देवी से रक्तबीज सम्बन्ध
अथवा आदिदेव - देवी सा युग्म चिरन्त चिरप्रेम करें !

आज " फिर " गप शप मूड  बना है -------------------------

मदांध बढ़ता संरचना मिटाता जाता समूह
एक होशोहवास का दावा करता , उन्मादी !
एक दिलों में प्रेम फैलाये, माली बीज से प्रेम व्यव्हार करें  !

आज " फिर " गप शप मूड  बना है -------------------------

युद्ध की टंकार या प्रतियोगिता की पुकार
"लोकः समस्ताः सुखिनः भवन्तु " का भाव
फिर क्या बदला ! आओ बैठ , मानवता का व्याख्यान करें !

आज " फिर " गप शप मूड  बना है -------------------------

आज " फिर " गप शप मूड  बना है
एक एक सिप चाय की चुस्की संग
आओ , मानव ! तुमसे फिर तुम्हारी ही बात करें !

आज " फिर " गप शप मूड  बना है -------------------------


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