गीत नर्त संग मुस्काती , कहाँ गई तू मोहिनबाला
थोड़ा भूत है तो थोड़ा भविष्य
थोड़ी चाहत तो थोड़ी खलिश
जुम्बिश भरे डगमग हाथ में, थामे हुए मन-प्याला
स्वर्णभूषण देह पे रेशमवस्त्र
नृत्य संलग्ना प्रिय की ताल पे
वाह ! वाह ! में मशगूल हुआ जो, बेसुध मतवाला
मेरी गद्दी मेरी हाला मैं हूँ राजा
प्रिय प्रिय कह हौले बेसुध होता
मोहनी भरती मदिरा रिसता छलकता प्रेमपयाला
वस्त्र-भूषन वही हाला वही शाला
संगीत गुम, नृत्य हुआ मौन, तत्क्षण
हा ! कालगाल, देहअशक्त हुई, छूटा मदपयाला
चार कंधो पे हो सवार संसारद्वार पे
वही राजा, मधुशाला वही नृतबाला
गीत नर्त संग मुस्काती , कहाँ गई तू मोहिनबाला
05-05-2017
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